
हरिद्वार : श्रावण शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा 2025 के अंतिम दिन धर्मनगरी हरिद्वार में आस्था का अभूतपूर्व जनसैलाब उमड़ पड़ा। बुधवार को शिवरात्रि के पावन अवसर पर सुबह से ही श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित किया, वहीं भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में विधिवत पूजन और जलाभिषेक करते नजर आए। शहर के प्रमुख मंदिरों -दक्षेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, दरिद्र भंजन, दुख भंजन, नीलेश्वर महादेव, कुंडी सोटा महादेव, बिल्केश्वर महादेव, गुप्तेश्वर महादेव और पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य शिवालयों में बड़ी संख्या में शिवभक्तों ने जल, बेलपत्र और पुष्प अर्पित कर पूजा-अर्चना की। हरिद्वार के दक्ष मंदिर, जिसे भगवान शिव की ससुराल माना जाता है, में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। मंदिर प्रांगण ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से गुंजायमान रहा। सुबह ब्रह्ममुहूर्त में जलाभिषेक के लिए श्रद्धालु कतारबद्ध दिखाई दिए। मंगलवार को लगभग 56 लाख शिवभक्त गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। पुलिस और प्रशासन के अनुसार, अब तक करीब 4-12 करोड़ कांवड़ यात्राी हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट चुके हैं। मौजूदा गति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष कांवड़ यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या 5 करोड़ के आंकड़े को पार कर सकती है। बुधवार को हरिद्वार -दिल्ली हाईवे के अलावा शहर के भीतरी मार्गों पर डाक कांवड़ यात्रियों की लंबी कतारें देखी गईं। इस बार पिछले वर्षों की तुलना में बाइक सवार श्रद्धालुओं की संख्या उल्लेखनीय रूप से अधिक रही। रोड़ी बेलवाला, अलकनंदा और अन्य पार्किंग स्थल दोपहिया वाहनों से भरे रहे, जबकि बड़ी संख्या में वाहन पार्किंग स्थलों के बाहर भी खड़े देखे गए। वाहनों पर लगी पताकाओं और भगवे वस्त्रों से पूरा नगर शिवमय दिखाई दिया। पंचक समाप्त होने के बाद 17 जुलाई से शुरू हुई श्रद्धालुओं की आमद अब तक थमी नहीं है। यात्रा के पहले सात दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या 1-5 करोड़ से अधिक हो गई थी, जबकि 18 से 20 जुलाई के बीच ही 1-5 करोड़ डाक कांवड़ यात्राी हरिद्वार पहुंचे। कांवड़ मेले को सकुशल संपन्न कराने के लिए प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यापक इंतजाम किए गए हैं। अत्यधिक भीड़ के बावजूद अब तक व्यवस्था नियंत्रण में बनी हुई है।